जर्मनी के ‘कब्जे’ से कब छूटेगी भारत की बेटी अरिहा? 36 महीने से फंसी, जयशंकर ने दिलाया भरोसा…
विदेश मंत्रालय महाराष्ट्र के ठाणे जिले की साढ़े तीन साल की बच्ची अरिहा की जल्द स्वदेश वापसी सुनिश्चित करने की कोशिशों में जुटा है, जो माता-पिता पर उत्पीड़न के आरोप लगने के बाद पिछले 36 महीने से जर्मनी में ‘फॉस्टर केयर’ (शिशु देखभाल केंद्र) में है।
स्थानीय सांसद नरेश म्हस्के ने यह जानकारी दी। म्हस्के ने बृहस्पतिवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि सरकार अरिहा की वापसी सुनिश्चित करने के लिए कानूनी प्रक्रियाओं में तेजी ला रही है।
उन्होंने बताया कि अरिहा के माता-पिता, जो इस समय जर्मनी में हैं, अब अपनी बेटी से महीने में दो बार मिल सकते हैं।
अरिहा के माता-पिता भावेश और धारा शाह ठाणे जिले के मीरा भयंदर इलाके के रहने वाले हैं। महीने की शुरुआत में ठाणे के सांसद म्हस्के ने संसद में यह मामला उठाया था, जिसके बाद विदेश मंत्री ने उन्हें पत्र लिखकर अपने मंत्रालय के माध्यम से किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।
जयशंकर ने 16 अगस्त को भेजे पत्र में कहा कि यह ‘हमारे’ हस्तक्षेप का नतीजा है कि जर्मन युवा कल्याण प्राधिकारियों ने माता-पिता को मुलाकात की अनुमति देने वाले अदालती आदेशों के खिलाफ अपील न करने का फैसला किया।
विदेश मंत्री ने लिखा, “जर्मनी के समक्ष हर स्तर पर यह मामला उठाया गया है, जिसमें व्यक्तिगत रूप से मेरे जर्मन समकक्ष के साथ मेरी बातचीत भी शामिल है, जिसमें मैंने इस बात पर जोर दिया कि अरिहा का दीर्घकालिक कल्याण केवल तभी सुनिश्चित किया जा सकता है, जब वह भारत में अपने सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण में पले-बढ़े।”
पत्र के मुताबिक, विदेश मंत्रालय और बर्लिन स्थित दूतावास के अधिकारी यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि बच्ची को भारतीय संस्कृति के अलावा जैन धर्म, भारतीय त्योहारों तथा सांस्कृतिक एवं धार्मिक परंपराओं के बारे में बताने वाले संसाधनों के जरिये उसकी मूल परवरिश के सांस्कृतिक वातावरण के तत्वों से वाकिफ कराया जाए। पत्र में कहा गया है कि देखभालकर्ता इन संसाधनों का उचित इस्तेमाल कर सकते हैं।
जयशंकर ने पत्र में कहा कि दूतावास के अधिकारी अरिहा को दो बार भारतीय मंदिरों में ले गए और एक ऐसी व्यवस्था बनाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसके तहत बच्ची को गुजराती/हिंदी सिखाई जा सके।
उन्होंने कहा, “अदालत के आदेशों के अनुसार, माता-पिता को महीने में दो बार बच्ची से मिलने का अधिकार दिया गया है (जिसका समय भी अदालतों ने बढ़ा दिया है)। इसके अलावा, जर्मन पक्ष हमारे दूतावास के अधिकारियों को बच्ची तक नियमित राजनयिक पहुंच भी प्रदान कर रहा है।” जयशंकर ने म्हस्के को आश्वासन दिया कि सरकार अरिहा को भारत लाने के लिए हरसंभव प्रयास करती रहेगी।
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