राज्य

आलमगंज में प्रॉपर्टी डीलर की गोली मारकर की हत्या, घटना CCTV में हुई कैद

आलमगंज थाना क्षेत्र के जल्ला रोड में रविवार की सुबह लगभग पांच बजे घर के पास ही प्रॉपर्टी डीलर अरुण कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी गई। वारदात को अंजाम देने के बाद हत्यारे बाइक से फरार हो गए। दो की संख्या में आए हत्यारों ने चेहरा छिपाने के लिए टोपी पहन रखी थी। पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो चुकी है।

अरुण की पत्नी आशा कुमारी ने मेयर सीता साहू के पुत्र शिशिर कुमार समेत नौ लोगों पर आपराधिक षड्यंत्र के तहत हत्या कराने का आरोप लगाया है। एएसपी शरथ आरएस ने मेयर पुत्र को नामजद अभियुक्त बनाए जाने की पुष्ट की है। कहा कि हत्याकांड का जल्द उद्भेदन कर दिया जाएगा।

इधर, शिशिर ने बताया कि वे मां और परिवार के अन्य लोगों के साथ दूसरे शहर में हैं। उन्होंने कहा कि अरुण के स्वजन दुर्भावना से ग्रसित होकर साजिश के तहत उन्हें फंसा रहे हैं।

फूलों में पानी देने निकले थे अरुण

आशा कुमार ने पुलिस को बताया कि सुबह उनके पति दरवाजे पर फूलों को पानी देने के लिए घर से बाहर निकले थे। तभी गली के मोड़ पर हत्यारों ने बाइक खड़ी की और पैदल उनके पास गए। सामना होता ही पति पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। गोली लगते ही वे जमीन पर गिर पड़े, जिसके बाद हत्यारे भाग निकले।

इधर, गोलियों की तड़तड़ाहट सुनकर स्वजन बाहर निकले और लहूलुहान हालत में अरुण को इलाज के लिए नालंदा मेडिकल हास्पिटल लेकर गए, जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

जमीन की खरीद-बिक्री करते थे अरुण

पत्नी ने बताया कि अरुण जमीन खरीद-बिक्री का काम करते थे। इसी को लेकर महापौर पुत्र शिशिर कुमार, दिव्य सुंदर, विकास गुप्ता, खड़बड़ गोप, छोटन गोप, राकेश, डीएम पप्पू, मंतोष कुमार महतो व मौली सोनार के द्वारा आपराधिक षडयंत्र रचकर पुरानी दुश्मनी व जमीनी विवाद के कारण हत्या करवाई है।

पत्नी ने प्राथमिकी में यह भी बताया है कि आठ मार्च 2023 को होली के दिन शिशिर, खड़बड़ गोप तथा उनके लोगों ने मारपीट कर पति को जेल भिजवा दिया था। सूत्रों की मानें तो हत्याकांड में पुलिस ने एक नामजद को हिरासत में लिया है। उससे पूछताछ की जा रही है।

चार भाइयों में सबसे छोटे थे अरुण

पिता मदन मोहन प्रसाद ने बताया कि उनके चार पुत्रों में अरुण सबसे छोटे थे। हत्या के बाद मां ऊषा देवी. पत्नी आशा देवी, पुत्र आरव व पुत्री आराध्या का रो-रोकर बुरा हाल था। वहीं, अरुण की तीन बहनें संगीता, गीता व बबीता समेत लोग अन्य हत्याकांड से मर्माहत थे। नालंदा मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम के बाद अरुण का अंतिम संस्कार फतुहा में किया गया।

सूत्रों की मानें तो कई पुलिसकर्मियों से उनकी नजदीकी थी। सिटी क्षेत्र के थानों में भी उनका आना-जाना लगा रहता था। इस कारण विरोधियों को संदेह था कि वे उनकी खबर पुलिस तक पहुंचा देते हैं। हत्याकांड के बाद मोहल्ले में यह भी चर्चा थी कि जेल में रहने के दौरान एक कुख्यात अपराधी से अरुण की दोस्ती हुई थी। बाहर आने के बाद भी दोनों की बातें होती थीं। पुलिस सभी बिंदुओं पर छानबीन कर रही है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button