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तिरुपति मंदिर में नए साल की जश्न की तैयारियां हुई शुरू, 3 लाख लोगों के दर्शन करने की उम्मीद 

आंध्र प्रदेश के सबसे बड़े धर्मस्थल तिरुपति मंदिर में नए साल की जश्न की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। मंदिर की पॉपुलैरिटी इतनी ज्यादा है कि यहां रोजाना 50 हजार भक्त दर्शन के लिए आते हैं। नए साल पर यह आंकड़ा 3 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। ऐसे में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वीआईपी दर्शन बंद कर दिए गए हैं।

तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम बोर्ड के अध्यक्ष बी. आर नायडू ने इसको लेकर बताया है कि 1 से 5 जनवरी तक भीड़ बहुत होगी, इस बार मंदिर में 2 लाख लोगों के आने का अनुमान है। साथ ही कहा जा रहा है इस बार दर्शन के लिए भक्तों को ऑनलाइन टिकट लेना होगा, अन्नदानम केंद्रों पर मुफ्त भोजन काउंटरों की संख्या बढ़ा दी गई है, पूरी व्यवस्था का अच्छे से इंतजाम किया गया, ताकि कोई भी भक्त भूखा ना सोए।

एक दिन में 3 लाख लोग करेंगे भोजन
रिपोर्ट के अनुसार एक दिन में 3 लाख लोग भोजन कर सकेंगे। साथ ही रसोइयों में चार स्तर की निगरानी की जा रही है। नए साल के साथ 10 जनवरी को वैकुंठ एकादशी से 9 दिन का महा उत्सव शुरू होने वाला है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान बालाजी के दर्शन मोक्ष देने वाले होते हैं। भक्तों के प्रसाद का भी पूरा ध्यान रखा गया है।

कहां से ले सकते ऑनलाइन टिकट?
टीटीडी के सीईओ श्यामला राव के मुताबिक हर दिन साढ़े तीन लाख से ज्यादा लड्डू प्रसाद के लिए बनाए जाएंगे। भक्तों को दर्शन में कोई दिक्कत ना हो इसके लिए ऑनलाइन टिकट व्यवस्था की गई है। भक्त श्रीवाणी से ऑनलाइन टिकट ले सकते हैं। इस बार स्वर्ण उत्सव में रथ जुलूस, चक्र स्नानम भी शामिल रहेंगे। मंदिर से जुड़ी परंपराओं का निर्वहन नियमित समय पर ही होगा।

विवाद में भी था मंदिर
वहीं पिछले दिनों मंदिर में आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसादम लड्डू में घी की जगह फिश ऑयल और जानवरों की चर्बी वाला तेल इस्तेमाल होने के दावे पर राजनीति गरमा गई थी। इसके पीछे की मुख्य वजह प्रसाद बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला घी  है।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया था कि पूर्ववर्ती सरकार के समय पर तिरुपति के प्रसाद यानी लड्‌डुओं को बनाने में मछली का तेल और पशु चर्बी का इस्तेमाल हुआ।

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