मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितृ पूजन का बेहद खास संयोग, दक्षिणमुखी होकर करें ये काम, पितर देंगे वरदान!
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को पितृ पूजन के लिए समर्पित माना गया है. अमावस्या तिथि पितरों को प्रसन्न करने के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है. वहीं, मान्यता है कि अगर पितृ प्रसन्न रहें तो घर में किसी भी संकट का आगमन नहीं हो सकता. घर में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है. लेकिन, अगर पितृ नाराज रहें तो घर में उथल पुथल मची रहती है. इसके अलावा, उस अमावस्या तिथि का प्रभाव और भी अधिक हो जाता है, जो शनिवार को पड़े. इस बार मार्गशीर्ष अमावस्या के साथ भी कुछ ऐसा ही है.
मार्गशीर्ष महीने की अमावस्या तिथि 30 नवंबर को है. अमावस्या तिथि पितरों को प्रसन्न करने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है. इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या पर बेहद शुभ योग भी बन रहा है. अमावस्या के दिन सुकर्मा और धृति योग का निर्माण हो रहा है, जो इस दिन के महत्व दोगुना कर देंगी. हर अमावस्या तिथि के दिन दक्षिणामुखी बैठकर पितृ के निमित्त तर्पण अवश्य करना चाहिए. इससे पितृ बेहद प्रसन्न होते हैं. खास बात ये भी मार्गशीर्ष अमावस्या शनिवार को पड़ेगी, जो और भी श्रेष्ठ है.
कब है मार्गशीर्ष अमावस्या
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने की अमावस्या तिथि की शुरुआत 30 नवंबर सुबह 09 बजकर 12 मिनट पर होगी. समापन अगले दिन 01 दिसंबर सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर होगा. 30 को दिन भर अमावस्या है, इसलिए 30 नवंबर दिन शनिवार को ही अमावस्या का श्राद्ध, तर्पण इत्यादि किया जाएगा.
अमावस्या के दिन करें ये उपाय
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों के नाम से तर्पण अवश्य करें. इसके साथ ही पितरों के नाम से दीपदान करना चाहिए. साथ ही इस दिन ब्राह्मण भोजन अवश्य कराएं. अमवास्या के दिन जल में तिल मिलाकर पितृ के नाम से पीपल पेड़ के नीचे अर्पण करते हैं तो पितृ बेहद प्रशन्न होंगे और आपके के ऊपर कृपा बरसेगी.