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दिल्ली हाई कोर्ट से गौतम गंभीर को मिली राहत, धोखाधड़ी मामले में नहीं होगा कोई एक्शन

भारतीय क्रिकेट टीम के कोच गौतम गंभीर को सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। दिल्ली हाई कोर्ट ने सेशन कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसमें गंभीर के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले को दोबारा से खोलने का आदेश दिया था।

इस फैसले के खिलाफ गंभीर ने हाई कोर्ट का रुख किया था। जिसमें उन्हें राहत मिली है। न्यायधीश मनोज कुमार ओहरी ने मामले पर रोक लगाते हुए कहा कि इस केस में डिटेल ऑर्डर जल्द ही जारी किया जाएगा उन्होंने कहा, "मैं आदेश दूंगा। तब तक याचिकाकर्ता के खिलाफ जो फैसला बहस के लिए लाया गया है उस पर स्टे रहेगा। मैं डिटेल ऑर्डर बाद में दूंगा।"

इस मामले में रुद्रा बिल्जवेल रियाल्टी, एचआर इंफ्रासिटी और यूएम आर्किटेक्टर एंड कॉन्ट्रैक्टर्स नाम की तीन पार्टियां शामिल हैं जिन्होंने सेरा बेल्ला 2011 हाउसिंग प्रोजेक्ट का प्रचार-प्रसार किया था। गंभीर रुद्रा कंपनी के अतिरिक्त निदेशक होने के अलावा इस प्रोजेक्ट के ब्रांड एंबेस्डर भी थे। जब मकान खरीदने वालों ने प्रोजेक्ट में कोई बढ़ोत्तरी नहीं देखी और जब उन्हें पता चला कि इसे लेकर मुकदमा चल रहा है, तो उन्होंने धोखाधड़ी का केस लगा दिया।

ट्रायल कोर्ट ने साल 2020 में प्राथमिकी के आधार पर तीन लोगों और दो कंपनियों को इसमें आरोपी पाया। बाकी लोगों को आरोपों से मुक्त कर दिया जिसमें गंभीर का नाम भी शामिल है। तीन लोगों ने ट्रायल कोर्ट के इस आदेश को सेशन कोर्ट में चुनौती दी थी। 29 अक्टूबर को सेशन कोर्ट ने पाया कि गंभीर को इस मामले से बरी करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश में कमी है तो उसने ट्रायल कोर्ट के आदेश को एक तरफ करते हुए गंभीर पर आरोप लगाते हुए नया फैसला सुना दिया।

सेशन कोर्ट ने कहा कि धोखाधड़ी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में आती है तो ऐसे में ईडी भी इस मामले में जांच करेगी। इसके बाद उसने ईडी को आदेश दिया कि वह मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से इस मामले की नए सिरे से जांच करे और स्टेटस रिपोर्ट फाइल करे।

गंभीर रहे सफल

गंभीर ने इस मामले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट में गंभीर की तरफ से मुकुल रोहतगी ने मामले की पैरवी की और कहा कि टीम इंडिया के कोच ने किसी से भी रुद्रा कंपनी के अतिरिक्त निदेशक के तौर पर बात नहीं की। उन्होंने कहा कि इस मामले में अब कोई और जांच होती है तो ये गंभीर का शोषण होगा।

 

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