व्यापार

ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद अब फरवरी तक नहीं, दिसंबर में भी राहत नहीं मिलने के संकेत

अमेरिका के साथ यूरोप की कई विकसित अर्थव्यवस्थाएं नीतिगत ब्याज दरों में कटौती कर रही हैं। लेकिन, भारत में रियायती ब्याज दर की उम्मीदें लंबे वक्त के लिए ठंडे बस्ते में जा सकती है। दरअसल, एसबीआई रिसर्च का कहना है कि मुद्रास्फीति लगातार बढ़ रही है। इस वजह से दिसंबर के बाद जनवरी में होने वाली एमपीसी मीटिंग में भी ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद नहीं है।
जनवरी में नरम होगी मुद्रास्फीति?

एसबीआई की रिपोर्ट में इस बात की संभावना जरूर जताई गई है कि जनवरी से मुद्रास्फीति में थोड़ी कमी आने लगेगी। लेकिन, ऐसा नहीं है कि चीजें सस्ती हो जाएंगी। यह असल में आधार प्रभाव की वजह से हो सकती है। मतलब कि आधार वर्ष, तिमाही या माह में महंगाई ज्यादा रही होगी, तो उसके मुकाबले मौजूदा महंगाई कम दिखेगी।
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025 के लिए मुद्रास्फीति औसतन 4.8 फीसदी से 4.9 फीसदी के आसपास रहने की संभावना है, जो आरबीआई के लक्ष्य से अधिक है।

जी का जंजाल बन रही है महंगाई
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने मंगलवार को खुदरा महंगाई का आंकड़ा जारी किया। इसके मुताबिक, खाद्य मुद्रास्फीति 10.87 प्रतिशत थी। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में मुद्रास्फीति की दर क्रमश: 6.68 प्रतिशत और 5.62 प्रतिशत रही। विश्लेषण से पता चलता है कि कई बड़े राज्य राष्ट्रीय औसत से अधिक मुद्रास्फीति का सामना कर रहे हैं।

अक्टूबर में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति 6.21 प्रतिशत रही, जो आरबीआइ के छह प्रतिशत के ऊपरी सहनीय स्तर से ज्यादा है। यह पिछले 14 महीनों में खुदरा महंगाई का सबसे उच्चतम स्तर भी है।
हम फरवरी, 2025 से रेपो रेट में 50 आधार अंकों की कटौती की अपनी बात पर कायम हैं। हालांकि हमें अनिश्चितता को स्वीकार करने और ट्रंप की नीतियों पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है। खाद्य तेल की कीमत भी आरबीआई के लिए चिंता का विषय होगी।

ज्यादा रुला रहा सब्जियों का भाव
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर सब्जियों की कीमतों को निकाल दें तो खुदरा मुद्रास्फीति 3.6 प्रतिशत है और यह आरबीआई के निर्धारित लक्ष्य के अंदर बनी हुई है। एसबीआई रिसर्च के उलट यूनियन बैंक ने अपनी रिपोर्ट में फरवरी, 2025 से ब्याज दरों में 50 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद जताई है।
बैंक ने कहा कि सितंबर के मध्य से रिफाइंड पाम ऑयल, रिफाइंड सोया ऑयल और रिफाइंड सूरजमुखी तेल के आयात शुल्क में हाल ही में 13.75 प्रतिशत से 35.75 प्रतिशत की बढ़ोतरी मुद्रास्फीति के दबाव को बढ़ाएगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button