विदेश

जब ट्रूडो के पिता ने भारत के दुश्मन को सौंपने से किया इनकार, खालिस्तानी नेता तलविंदर परमार की कहानी…

कनाडा में खालिस्तानियों पर ऐक्शन न लेकर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते दिखाई दे रहे हैं।

ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो 80 के दशक में कनाडा के प्रधानमंत्री थे। उस वक्त कनिष्क बम धमाकों का आरोपी खालिस्तानी आतंकी तलविंदर सिंह परमार कनाडा में बैठा हुआ था।

लेकिन पियरे ट्रूडो ने उसे भारत को सौंपने से इनकार कर दिया था। गौरतलब है कि पिछले कुछ अरसे से भारत और कनाडा के बीच तल्खियां बढ़ रही हैं।

कनाडा सरकार निज्जर हत्याकांड में भारत पर आरोप लगा रही है। इसके अलावा हिंदू मंदिरों और भारतीय उच्चायोग पर हो रहे हमलों पर कोई ऐक्शन नहीं लिया जा रहा है।

अब भारत ने कनाडा के दूतावास से राजनयिकों और अधिकारियों को वापस बुला लिया है। इसके बाद कनाडा के राजनयिकों और अधिकारियों को वापस भेज दिया गया है।

कनिष्क विमान में बम और खालिस्तानी
फिलहाल हम बात कर रहे हैं जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो के कार्यकाल और खालिस्तानी आतंकी तलविंदर सिंह परमार की। 23 जून 1985 को एयर इंडिया की फ्लाइट 182 मॉन्ट्रियल से लंदन होते हुए दिल्ली के लिए रवाना हुई। इस विमान में खालिस्तानी आतंकियों ने बम लगा रखा था। जब विमान आइरिश हवाई क्षेत्र में 31,000 फीट की ऊंचाई पर था, तभी इसमें धमाका हो गया। विमान में सवार सभी 329 लोग मारे गए जिसमें अधिकतर भारतीय मूल के कनाडाई थी। कनाडा के मॉन्ट्रियल से उड़ान भरने के मात्र 45 मिनट के अंदर ही यह धमाका हुआ।

1981 में परमार पहुंच गया था कनाडा
कनिष्क विमान बम हादसे का मास्टरमाइंड तलविंदर सिंह परमार 1981 में कनाडा पहुंचा था। पंजाब पुलिस के दो अधिकारियों को मारने के आरोप में वह जेल में बंद था। जेल से छूटने के बाद वह कनाडा चला गया। परमार बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई), जिसे बब्बर खालसा के नाम से भी जाना जाता है, उसका फाउंडर, नेता और जत्थेदार था। कनिष्क हादसे के बाद कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो ने मामले में भारत के साथ सहयोग से इनकार कर दिया था। उन्होंने परमार को भी भारत सरकार को सौंपने से मना कर दिया था। बाद में 1992 में पंजाब पुलिस ने परमार को मार गिराया था।

सूटकेस और बम
यह पहली खतरनाक हवाई दुर्घटना थी, जिसमें कनाडा का नाम आया और वहां बैठे आतंकियों ने इसे अंजाम दिया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक यह बम विमान में दो सूटकेसों के अंदर रखा गया था। इसे मंजीत सिंह नाम के एक खास शख्स ने विमान में रखा था, लेकिन वह खुद विमान में सवार नहीं हुआ। बाद में खालिस्तानियों ने विमान के अंदर बम धमाके की जिम्मेदारी ली थी। साथ ही यह भी सामने आया था कि इसका मास्टरमाइंड तलविंदर सिंह परमार था। इंडिया टुडे की एक तत्कालीन रिपोर्ट के मुताबिक बम धमाके कुछ घंटे के बाद तीन अलग-अलग गुटों ने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए अखबारों को फोन किया। यह ग्रुप थे, दशमेश रेजीमेंट, ऑल इंडिया सिख स्टूडेंट फेडरेशन और कश्मीर लिबरेशन आर्मी।

भारत की चेतावनी को किया नजरअंदाज
कनिष्क विमान में हुए बम धमाके की जांच में चौंकाने वाली बातें सामने आईं। इसमें कनाडाई सरकार की संदिग्ध भूमिका की बातें भी कहीं गईं। उस वक्त के विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने संसद को बताया कि कनाडा की सरकारी एजेंसियों को खतरे की जानकारी थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक 1 जून 1985 को भारतीय खुफिया एजेंसियों ने कनाडाई अधिकारियों को सूचना दी थी। इसमें कहा गया था कि खालिस्तानी आतंकी विमान पर हमला कर सकते हैं। लेकिन कनाडा ने इस पर ध्यान नहीं दिया और 23 जून 1985 को यह घटना हो गई। उस वक्त की भारत सरकार ने यह भी कहाकि कनाडा की एजेंसियां इस हमले की गंभीरता और खतरे को आंकने में चूक गईं। सिर्फ इतना ही नहीं, कनाडियन सिक्योरिटी इंटेलीजेंस सर्विस भी इस मामले में नाकाम साबित हुआ।

कनाडा की सरकार पर आरोप
कनाडा की सरकार के ऊपर आरोप गहराते जा रहे थे। वॉशिंगटन पोस्ट ने खुलासा किया था कि कनाडाई इंटेलीजेंस एजेंसी के पास ऐसी सूचना थी और कनिष्क विमान बम धमाके को रोका जा सकता था। हालांकि, कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा ने एक एजेंट को वापस बुला लिया, जिसने बमबारी से कुछ दिन पहले आतंकवादी समूह में घुसपैठ की थी। बाद में एक जांच रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि उस वक्त रॉयल कनाडियन माउंटेड पुलिस और जासूसी एजेंसी सीएसआईएस के बीच झगड़ा था, जिसने देश के सुरक्षा मैकेनिज्म को कमजोर कर दिया था। साथ ही इसमें घटना को रोकने में नाकाम रहने के लिए कनाडा की सरकार को भी कठघरे में खड़ा किया गया था।

The post जब ट्रूडो के पिता ने भारत के दुश्मन को सौंपने से किया इनकार, खालिस्तानी नेता तलविंदर परमार की कहानी… appeared first on .

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button