धर्म

महादेव और चंद्रमा का क्या है संबंध? कैसे दूर होगा चंद्र दोष का कष्ट

महर्षि वेदव्यास द्वार रचित शिव पुराण के श्रीरूद्र संहिता में चतुर्थ खंड के तेरहवें अध्याय में दक्ष प्रजापति की 60 पुत्रियों का विवाह वर्णन किया गया है. दरअसल भगवान शिव की पत्नी माता सती थीं, जो की राजा दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं. राजा दक्ष की कुल 60 पुत्रियां और थीं. जिसमें से राजा दक्ष ने अपनी 10 पुत्रियों का विवाह धर्म से, 13 पुत्रियों का विवाह कश्यप मुनि, 27 पुत्रियों का विवाह चंद्रमा से किया था. दो का भूतागिरस और कृशाश्व, और चार का ताक्ष्य से किया था. इसके अनुसार पूर्ण रूप से भगवान शिव और चंद्रमा के बीच का संबंध स्पष्ट होता है.

भगवान शिव के शीश पर विराजे चंद्रमा
भगवान शिव के शीश पर चंद्रमा के विराजमान होने को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है, जिसके अनुसार समुद्र मंथन के समय जब विष निकला तो सृष्टि की रक्षा हो इसका पान स्वयं शिव ने किया. यह विष उनके कंठ में जमा हो गया थे, जिसकी वजह से वो नीलकंठ कहलाए.

कथा के अनुसार विषपान के प्रभाव से शंकर जी का शरीर अत्यधिक गर्म होने लगा था. तब चंद्र सहित अन्य देवताओं ने प्रार्थना की कि वह अपने शीश पर चंद्र को धारण करें ताकि उनके शरीर में शीतलता बनी रहे. श्वेत चंद्रमा को बहुत शीतल माना जाता है, जो पूरी सृष्टि को शीतलता प्रदान करते हैं. देवताओं के आग्रह पर शिवजी ने चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण कर लिया.

राजा दक्ष की 27 कन्याओं का विवाह चंद्रमा से
राजा दक्ष की 60 पुत्रियों में से 27 पुत्रियों का विवाह चंद्रमा के साथ हुआ था, लेकिन रोहिणी उनके सबसे समीप थीं. इससे दुखी चंद्रमा की बाकी पत्नियों ने अपने पिता प्रजापति दक्ष से इसकी शिकायत कर दी. तब दक्ष ने चंद्रमा को क्षय रोग से ग्रस्त होने का श्राप दिया. इसकी वजह से चंद्रमा की कलाएं क्षीण होती गईं,

चंद्रमा की परेशानी देखकर नारदजी ने उन्हें भगवान शिव की आराधना करने को कहा. चंद्रमा ने अपनी भक्ति और घोर तपस्या से शिवजी को जल्द प्रसन्न कर लिया. शिव की कृपा से चंद्रमा पूर्णिमा पर अपने पूर्ण रूप में प्रकट हुए और उन्हें अपने सभी कष्टों से मुक्ति मिली, तब चंद्रमा के अनुरोध करने पर शिवजी ने उन्हें अपने शीश पर धारण किया था.

चंद्र दोष का उपाय
कर्क राशि चन्द्रमा की अपनी राशि है, वृषभ राशि में चन्द्रमा उच्च का होता है एवं वृश्चिक राशि में चन्द्रमा को नीच का माना जाता है. इसके साथ ही यदि चन्द्रमा शनि, राहु, केतु जैसे ग्रहों के साथ बैठा हो या दृष्टि सम्बन्ध बना रहा हो तब वह और भी पीड़ित हो जाता है. ऐसे जातक को शिव जी की पूजा करनी चाहिए. शिव पूजा से कुंडली का चंद्र दोष दूर होता है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button