राजनीती

दिल्ली चुनाव: 11 उम्मीदवारों को लेकर फंस रहा बीजेपी में पेंच, मंथन जारी

पटना: दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी अपने 11 उम्मीदवारों को लेकर असमंजस की स्थिति में है। पार्टी के कुछ लोग नीतीश कुमार और चिराग पासवान को खुश करने का प्रयास कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि नीतीश कुमार की जेडीयू और चिराग पासवान की एलजेपी (रामविलास) को सीटें दी जानी चाहिए, लेकिन पार्टी का एक धड़ा जिसमें राज्य इकाई के पदाधिकारी भी शामिल हैं, उसका मनना है कि इन पार्टियों को टिकट देने से बीजेपी के जीतने के चांस कम हो जाएंगे।

इस वजह से नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख से दो दिन पहले, बुधवार तक बीजेपी की अंतिम 11 उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं हो पाई है। सूत्रों का कहना है कि गुरुवार को अंतिम सूची जारी हो सकती है, जिसमें एक या दो सीटें जेडीयू को मिल सकती हैं। बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि जेडीयू को दो सीटें बुराड़ी और देवली मिल सकती हैं, जहां पूर्वांचली मतदाता बहुतायत में हैं। संगम विहार पर भी चर्चा की गई थी। एलजेपी भी यहां से एक सीट चाहती है, लेकिन उसे सीट मिलने की संभावना कम है। बीजेपी ने अभी 11 सीटों पर उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं। दिल्ली की राजनीति में पूर्वांचल का मतलब पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के कुछ हिस्सों के लोगों से है। ये लोग दिल्ली की आबादी का करीब 30 फीसदी हैं, और 70 में से 20 सीटों पर इनकी अच्छी संख्या है, जिन विधानसभा क्षेत्रों में इस क्षेत्र के लोगों की अच्छी खासी संख्या है, वे हैं बुराड़ी, किराड़ी, करावल नगर, संगम विहार, राजेंद्र नगर, विकासपुरी, उत्तम नगर, लक्ष्मी नगर, बदरपुर, पटपड़गंज, देवली और द्वारका। पिछले दिल्ली चुनावों में जेडीयू ने गठबंधन के तहत संगम विहार और बुराड़ी से चुनाव लड़ा था। बुराड़ी से चुनाव लड़ने वाले उनके उम्मीदवार शैलेंद्र कुमार, आप के संजीव झा से हार गए थे। संगम विहार से आप के दिनेश मोहनिया ने जेडीयू के शिवचरण गुप्ता को हराया था। एलजेपी को भी एक टिकट मिला था सीमापुरी से जो एक एससी आरक्षित सीट है। आप के राजेंद्र पाल गौतम ने एलजेपी के संतलाल को हराया था।

जेडीयू, एसपी और आरजेडी जैसी पार्टियां दिल्ली के चुनावों में अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रही हैं। बीएसपी को 2008 में कुछ सफलता मिली थी, जब उसने 14 फीसदी वोट शेयर हासिल किया था, लेकिन हाल के दिनों में वह कुछ खास नहीं कर पाई और पिछले तीन विधानसभा चुनावों में सभी सीटें हार गई। बीजेपी के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने कहा कि दिल्ली में पूर्वांचलियों की संख्या 30 फीसदी से ज्यादा है, लेकिन दिल्ली में रहते हुए उनकी मतदान की पसंद बदल जाती है। अगर उनकी पकड़ मजबूत होती, तो उन्होंने हालिया चुनावों में कुछ सफलता मिली, लेकिन एमसीडी चुनावों में भी उनका सूपड़ा साफ हो गया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button