राजनीती

चुनाव आयोग की अखंडता नष्‍ट करना संविधान और लोकतंत्र पर सीधा हमला – मल्लिकार्जुन खरगे  

नई दिल्ली ।  कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे  ने चुनाव नियमों में बदलाव के केंद्र सरकार के फैसले की आलोचना की है, जिससे सीसीटीवी,  वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज प्राप्त करना कठिन हो गया है। खरगे  ने इसे चुनाव आयोग की अखंडता को नष्ट करने की व्यवस्थित साजिश बताया है। साथ ही कहा कि चुनाव आयोग की अखंडता को नष्‍ट करना संविधान और लोकतंत्र पर सीधा हमला है। 
चुनाव आयोग की सिफारिश पर केंद्रीय कानून मंत्रालय ने सार्वजनिक निरीक्षण के लिए दस्तावेजों को प्रतिबंधित करने के लिए शुक्रवार को चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 93(2)(ए) में संशोधन किया था। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा था कि मतदान केंद्रों के अंदर सीसीटीवी कैमरे के फुटेज के दुरुपयोग से मतदाता की गोपनीयता से समझौता हो सकता है और इसका उपयोग एआई के उपयोग से फर्जी कहानियां तैयार करने के लिए भी किया जा सकता है। इस फैसले के बाद विवाद खड़ा हो गया है और विपक्ष ने सरकार पर चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को नष्ट करने का आरोप लगाया। कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे भारत के चुनाव आयोग की अखंडता को नष्ट करने की व्यवस्थित साजिश के तहत सरकार द्वारा किया हमला बताया।  खरगे ने इस कदम की तुलना चुनाव आयोग की नियुक्ति करने वाले चयन पैनल से भारत के मुख्य न्यायाधीश को हटाने से की और कहा, सरकार द्वारा भारत के चुनाव आयोग की अखंडता को नष्ट करना संविधान और लोकतंत्र पर सीधा हमला है और हम उसकी रक्षा के लिए हर कदम उठाएंगे।  खरगे ने कहा कि जब भी कांग्रेस ने चुनाव में अनियमितताओं के बारे में चुनाव आयोग को लिखा उसने तिरस्‍कारपूर्ण लहजे में जवाब दिया और कुछ गंभीर शिकायतों का जवाब भी नहीं दिया। 
मामला चुनाव संचालन नियमों के नियम 93 से संबंधित है। नियम 93 के अनुसार, चुनाव से संबंधित सभी ‘‘कागजात सार्वजनिक निरीक्षण के लिए रखे जाएंगे। संशोधन के तहत ‘‘कागजातों के बाद ‘‘जैसा कि इन नियमों में निर्दिष्ट है शब्द जोड़े गए हैं।  नामांकन प्रपत्र, चुनाव एजेंट की नियुक्ति, परिणाम और चुनाव खाता विवरण जैसे दस्तावेजों का उल्लेख चुनाव संचालन नियमों में किया गया है, लेकिन आदर्श आचार संहिता अवधि के दौरान सीसीटीवी कैमरा फुटेज, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज इसके दायरे में नहीं आते। हालांकि, एक अधिकारी ने कहा कि ऐसी सामग्री अभी भी उम्मीदवारों के लिए उपलब्ध होगी और लोग इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड प्राप्त करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। उन्होंने कहा कि दस्तावेजों और कागजात तक पहुंच के लिए कोई बदलाव नहीं किया गया है। संशोधन में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस आदेश का पालन किया गया, जिसमें सीसीटीवी कैमरा फुटेज सहित हरियाणा विधानसभा चुनाव से संबंधित सभी दस्तावेजों को एक वकील के साथ साझा करने का आदेश दिया गया था, जो चुनाव आयोग के खिलाफ मामला लड़ रहे हैं। 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button