समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को शामिल करने में थी भाजपा की सहमति थी- कांग्रेस
नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद में यह नहीं बताया कि उन्होंने अन्य कांग्रेस सांसदों के साथ मिलकर 44वें संशोधन के पक्ष में मतदान किया था, जिसके तहत 42वें संशोधन के माध्यम से लाए गए कई प्रावधानों को हटा दिया गया था। रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री और उनके सहयोगियों ने इस तथ्य का भी उल्लेख नहीं किया कि 42वें संशोधन के कई प्रावधानों को तब से बरकरार रखा गया है जब से इसे लगभग आधी सदी पहले अधिनियमित किया गया था। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, संविधान पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री और उनके सहयोगियों ने दिसंबर 1976 में संसद द्वारा पारित 42वें संशोधन को लेकर इंदिरा गांधी पर उग्र हमला किया। उन्होंने कहा, उन्होंने यह नहीं बताया कि इंदिरा गांधी ने स्वयं अन्य कांग्रेस सांसदों के साथ मिलकर दिसंबर 1978 में 44वें संशोधन के पक्ष में मतदान किया था, जब मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री थे। समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को 1976 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा पेश किए गए 42वें संविधान संशोधन के तहत संविधान की प्रस्तावना में शामिल किया गया था। संशोधन ने प्रस्तावना में भारत के वर्णन को संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य से बदलकर संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य कर दिया। रमेश ने कहा कि 44वें संशोधन ने 42वें संशोधन के माध्यम से लाए गए कई प्रावधानों को हटा दिया।
कांग्रेस नेता ने कहा, प्रधानमंत्री और उनके सहयोगियों ने इस तथ्य का भी उल्लेख नहीं किया कि 42वें संशोधन के कई प्रावधानों को तब से बरकरार रखा गया है जब से इसे लगभग आधी सदी पहले अधिनियमित किया गया था। रमेश ने बताया कि 42वें संशोधन के प्रावधानों में प्रस्तावना में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द शामिल हैं, जिन्हें हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा माना है। रमेश ने कहा कि इनमें अनुच्छेद 39-ए शामिल है जो समान न्याय और मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करता है तथा अनुच्छेद 43-ए उद्योगों के प्रबंधन में श्रमिकों की भागीदारी का प्रावधान करता है। उन्होंने कहा कि बरकरार रखे गए प्रावधानों में अनुच्छेद 48-ए भी शामिल है जो पर्यावरण के संरक्षण एवं सुधार तथा वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा का प्रावधान करता है। उन्होंने कहा कि इनमें अनुच्छेद 51-ए भी शामिल है जिसमें नागरिकों के 11 मौलिक कर्तव्यों की सूची दी गई है तथा अनुच्छेद 323-ए और 323-बी में प्रशासनिक और अन्य न्यायाधिकरणों का प्रावधान है। रमेश ने कहा कि शिक्षा, जनसंख्या नियोजन, पर्यावरण और वन को सातवीं अनुसूची में शामिल किया गया है, अर्थात समवर्ती सूची, जो केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को जिम्मेदारी देती है।