अगर आप भी आ रहे हैं प्रयागराज महाकुंभ मेला, तो मिर्जापुर के इन 5 मंदिरों का दर्शन करना न भूलें, जानें मान्यता
यूपी के प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ मेला 2025 में करोड़ों भक्त स्नान के लिए पहुंचेंगे. अगर आप भी महाकुंभ में स्नान करने के लिए आ रहे हैं, तो मिर्जापुर के 5 दिव्य स्थलों पर दर्शन करना न भूलें. इन देवस्थलों का पुराणों में भी जिक्र है.
महाकुंभ में अगर आप भी प्रयागराज स्नान करने के लिए आ रहे हैं, तो मिर्जापुर स्थित प्रसिद्ध 5 मंदिरों में दर्शन करना न भूलें. पुराणों में वर्णन के साथ ही मंदिरों की धार्मिक मान्यता है, जहां दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं.
प्रयागराज से 90 किलोमीटर दूर विंध्याचल में आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी का धाम स्थित है. मान्यता है कि सृष्टि की संरचना से पहले ही यहां पर आकर मां विराजमान हुई. महालक्ष्मी की अवतार मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भक्त दर्शन के लिए आते हैं.
मां विंध्यवासिनी की त्रिकोण यात्रा में विंध्याचल से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर अष्टभुजा मंदिर स्थित है. मां अष्टभुजा को सरस्वती का रूप माना जाता है. मां के त्रिकोण में यह धाम बेहद महत्वपूर्ण है. सबसे अधिक बिहार से भक्त यहां पर शीश नवां कर आशीर्वाद लेते हैं.
रक्तबीज राक्षस का संघार करने वाली मां काली विंध्यपर्वत पर महाकाली के रूप में विराजमान हैं. मां विंध्यवासिनी धाम से महज 4 किलोमीटर की दूरी पर कालिखोह स्थित है. यह पर मां काली का विग्रह खेचरी मुद्रा में हैं. मंदिर बेहद प्राचीन है और पुराणों में मां के महिमा का वर्णन है.
मां विंध्यवासिनी धाम में दर्शन के लिए आएं प्रभु राम ने शिवलिंग की स्थापना की थी. रामगया घाट पर पिता का पिंडदान करने के बाद शिव की आराधना के लिए शिवलिंग स्थापित किया था. इसे रामेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. यह दिव्य स्थल मां के धाम से महज एक किलोमीटर दूरी पर स्थित है.
मां विंध्यवासिनी की नगरी मिर्जापुर में काशी विश्वनाथ का आंगन है. धाम से 8 किलोमीटर दूर शहर में स्थित बूढ़ेनाथ महादेव मंदिर विश्व प्रसिद्ध है. मान्यता है कि काशी में महादेव दिन में रहते हैं. रात्रि में आराम करने के लिए मिर्जापुर के बुढ़ेनाथ मंदिर में आते हैं. यहां पर भी आप दर्शन कर सकते हैं.