बोकारो में 99 बकायेदारों का खाता फ्रीज करने की तैयारी, 25 लाख रुपये से ज्यादा का टैक्स बकाया
बोकारो। लंबे समय से टैक्स जमा नहीं करने वालों के खिलाफ अब नगर परिषद ने कार्रवाई करने की तैयारी कर ली है। इसे लेकर बड़े बकायेदारों की सूची बना ली गई है। फुसरो नगर परिषद क्षेत्र में ऐसे 99 बड़े बकायेदारों को चिन्हित किया गया है, जिनका 25 लाख 78 हजार 459 रुपये टैक्स की राशि बकाया है। नगर परिषद ऐसे बकायेदारों का खाता फ्रिज करने की कार्रवाई करने वाली है।
बताया गया कि इसे लेकर नगर परिषद की ओर से कई बार नोटिस भी भेजा जा चुका है। लेकिन इसके बाद भी बकायेदारों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। इन बकायेदारों को एक वर्ष पूर्व सामान्य नोटिस भेजा गया था। इसके बाद भी टैक्स नहीं जमा करने पर दूसरी बार चेतावनी नोटिस छह माह पूर्व भेजा गया।
खाता फ्रीज करने की चेतावनी
नोटिस डेढ़ माह पूर्व भेजा जा चुका है। फुसरो नप के कार्यपालक पदाधिकारी ने आम सूचना के माध्यम से बकाया राशि का भुगतान नगर परिषद द्वारा प्राधिकृत एजेंसी रितिका प्राइवेट लिमिटेड में जमा करने का निर्देश दिया है। उन्होंने बताया कि बकाया टैक्स की राशि जमा नहीं कराने पर झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 की धारा 181 एवं 184 की उपधाराओं के अंतर्गत एवं झारखंड नगरपालिका संपत्ति कर (निर्धारण, संग्रहण और वसूली) नियमावली 2013 व संशोधित नियमावली 2015 की धारा पांच की कंडिका 5.2 में प्रदत्त शक्तियों के अंतर्गत नगर परिषद प्रशासन कार्रवाई शुरू करने जा रहा है। जिसमें बकायेदारों का खाता फ्रीज किया जा सकता है। नगर प्रशासन ने यह लिस्ट भी बना ली है कि किसके पास कितनी टैक्स की राशि बकाया है। जमा नहीं करने पर खाता को फ्रिज कर बकाया टैक्स वसूला जायेगा।
होल्डिंग टैक्स वसूली बनी चुनौती
बता दें कि नगर परिषद फुसरो में होल्डिंग टैक्स के बड़े बकायेदारों से वसूली करना यहां के अधिकारियों के लिए हमेशा से बड़ी चुनौती रही है। कई बार टैक्स जमा कराने को लेकर नगर परिषद प्रशासन की ओर से छूट भी दी जाती है लेकिन उसके बाद भी कई बड़े बकायेदारों का बकाया वर्षों से है। उधर, सीसीएल में भी कई प्रक्षेत्र के शहरी इलाकों का होल्डिंग टैक्स का बकाया काफी ज्यादा हो जाने पर कई बार सीसीएल का खाता भी फ्रिज करने की कार्रवाई की जा चुकी है। कुछ माह पहले होल्डिंग टैक्स में वृद्धि होने पर कई पार्षदों ने लोगों के साथ विरोध प्रदर्शन करते हुए शहर क्षेत्र में भारी असुविधाओं का हवाला देते हुए वृद्धि पर रोक लगाने की मांग की थी।