धर्म

प्रसाद को लेकर उड़ी अफवाह का मंदिर ट्रस्ट ने किया खंडन, चंपत राय ने कह दी बड़ी बात

भगवान श्री राम के भोग प्रसाद को लेकर मीडिया में चल रही भ्रामक खबरों का राम मंदिर ट्रस्ट ने खंडन किया है. राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि पिछले 30 वर्षों से भगवान राम लला को बाहर के किसी भी तरह के भोग प्रसाद को नहीं लगाया गया है. भगवान राम की तरफ से श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया जाता है. वह ऐसा प्रसाद होता है जो लंबे समय तक खराब ना हो. राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव ने कहा कि बाहर से केवल 56 भोग ही आता है.

भगवान के सामने थाल रख करके केवल समर्पित किया जाता है. लेकिन, उसको भी बहुत सोच विचार के ही रामलला को समर्पित किया जाता है. उसका भी भोग नहीं लगाया जाता है. भगवान राम लला को समर्पित किया गया 56 भोग यदि किसी श्रद्धालु को दिया जाए. उसकी तबीयत खराब हो जाए. इसको लेकर बहुत ही सतर्कता बरती जाती है. हम बाहर से किसी भी तरीके का भोग प्रसाद रामलला को समर्पित नहीं करते राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव ने कहा कि बाहर से प्रसाद लाने की कोई भी आवश्यकता नहीं है.

मंदिर परिसर में ही बनाया जाता भोग प्रसाद
राम मंदिर परिसर में ही भगवान राम लला के लिए भोग भी बनाया जाता है. ये दुनिया का ऐसा कोई भी मंदिर नहीं है. जहां भगवान को आस पड़ोस या मोहल्ले से रास्ता चला हुआ भोग लगाया जाता हो राम मंदिर में भी भगवान राम लला को भोग लगाने के लिए राम मंदिर परिसर में ही भोग प्रसाद बनाया जाता है.

मंदिर ट्रस्ट ने किया खंडन
राम लला को भोग लगाने को लेकर तमाम समाचार पत्रों में खबरें प्रकाशित होने के बाद राम मंदिर ट्रस्ट ने खंडन करते हुए कहा कि भगवान राम लला के परिषर में पिछले 30 वर्षों से बाहर का कोई भी भोग प्रसाद नहीं लगाया गया है. भगवान राम लला को 56 व्यंजनों का भोग समर्पित होता है. वह भी खूब सोच विचार के बाद ही ताकि किसी भी तरीके की स्वास्थ्य संबंधी समस्या किसी भी राम भक्त को न होने पाए राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने खंडन करते हुए.

मंदिर परिषद में ही बनाया जाता
भगवान राम लला की तरफ से श्रद्धालुओं को ऐसा प्रसाद वितरण किया जाता है. जो लंबे समय तक खराब ना हो इसके साथ ही भगवान के भक्तों से अपील करते हुए कहा कि बाहर से प्रसाद लाने की आवश्यकता ही नहीं है. भगवान राम लला के लगने वाले भोग को भी राम मंदिर परिषर में राम मंदिर परिषद में ही बनाया जाता है. देश और दुनिया के किसी भी मंदिर में बाहर से लाया हुआ है. भोग भगवान को नहीं लगाया जाता है. वहीं परंपरा राम मंदिर में भी संचालित है.

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