राज्य

दिल्ली सरकार की महिला सम्मान निधि योजना पर वित्त विभाग ने उठाए सवाल

दिल्ली: दिल्ली सरकार की मुख्यमंत्री महिला सम्मान निधि योजना को लेकर वित्त विभाग ने आपत्ति जता दी है। इस योजना के तहत 18 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को हर महीने एक-एक हजार रुपये देने का ऐलान किया गया था और इसके लिए चालू वित्त वर्ष में 2,000 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान भी किया गया था।

सब्सिडी खर्च 15 हजार करोड़ तक
वित्त विभाग के आकलन के अनुसार, इस योजना पर सालाना 4,560 करोड़ रुपये खर्च होंगे। दिल्ली सरकार की अन्य सब्सिडी योजनाओं पर लगभग 11 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। वित्त विभाग का मानना है कि अगर मुख्यमंत्री सम्मान योजना लागू की जाती है, तो ऐसे में सब्सिडी वाली योजनाओं पर खर्च बढ़कर 15 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा हो जाएगा, जो दिल्ली की वित्तीय स्थिति के लिए जोखिम भरा साबित होगा। यहां तक कि इसके लिए राज्य सरकार को ऊंची ब्याज दर पर लोन भी लेना पड़ सकता है, जिससे अगले वित्त वर्ष में राज्य सरकार को भारी राजकोषीय घाटे का सामना करना पड़ सकता है।

मुख्यमंत्री आतिशी को वित्त विभाग की रिपोर्ट
मुख्यमंत्री आतिशी को भेजे एक नोट में वित्त विभाग के अडिशनल चीफ सेक्रेटरी ने सरकार को इस बात से भी अवगत कराया है कि अगर राजस्व घाटे का सामना करना पड़ा, तो केंद्र सरकार अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करके राज्य सरकार को दी गई वित्तीय शक्तियों और सहायता में कुछ कटौती भी कर सकती है। वित्त विभाग ने कहा है कि सरकार पहले ही दिल्ली जल बोर्ड के राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए उसे अनुदान देने का वादा कर चुकी है, जिसके लिए अगले वित्त वर्ष में 2,500 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में महिला सम्मान निधि योजना पर खर्च के साथ अगले वित्त वर्ष में लगभग 7,000 करोड़ रुपये की नई राजस्व देनदारी बनेगी।

राजस्व घाटा बढ़ने की आशंका
टैक्स और नॉन टैक्स रेवेन्यू में बढ़ोतरी का जो अनुमान है, वह भी राजस्व व्यय की इस बढ़ोतरी को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा, जिससे अगले वित्त वर्ष में वित्तिय असंतुलन बढ़ने की पूरी संभावना है। राजस्व विभाग ने कहा कि वह महिला सम्मान निधि योजना पर होने वाले खर्च और बजट पर पड़ने वाले उसके प्रभावों का आकलन करके सरकार को अपनी रिपोर्ट देगा।

हालांकि, मुख्यमंत्री आतिशी ने जवाब में वित्त विभाग से कहा है कि इस समय वित्त वर्ष 2025-26 के बजट अनुमानों पर फैसला लेना सही नहीं होगा। साथ ही इस मामले में फैसला लेना सरकार का विशेषाधिकार है। सीएम का मानना है कि चालू वित्त वर्ष में अभी चार महीने ही बाकी हैं। ऐसे में सरकार ने इस योजना के लिए अभी जो बजटीय प्रावधान किया है, उससे इस योजना को चालू वित्त वर्ष में भी लागू किया जा सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button