राजनीती

इतिहास के चुनिंदा लोगों का महिमामंडन… भारत की आजादी के बहाने जगदीप धनखड़ ने किस पर साधा निशाना

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इतिहास में कुछ लोगों के योगदान को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने और कई स्वतंत्रता सेनानियों को भुला देने पर निराशा जताई। धनखड़ रविवार को दिल्ली के भारत मंडपम में राजा महेन्द्र प्रताप सिंह की 138वीं जयंती पर पहुंचे थे। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने राजा महेन्द्र प्रताप सिंह की तारीफ करते हुए उन्हें एक कुशल राजनीतिज्ञ,दूरदर्शी और राष्ट्रवादी बताया। उन्होंने किसानों के कल्याण और 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य के बीच संबंध पर भी प्रकाश डाला।

'इतिहास में चुनिंदा लोगों का महिमांडन'
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में इतिहास के कुछ चुनिंदा लोगों के महिमामंडन पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इतिहास की किताबों में भारत की आजादी का श्रेय कुछ ही लोगों को दिया जाता है,जबकि कई अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को नजरअंदाज कर दिया जाता है।यह कार्यक्रम भारत मंडपम में राजा महेन्द्र प्रताप सिंह की 138वीं जयंती के अवसर पर आयोजित किया गया था। धनखड़ ने इस अवसर पर 1915 में पहली भारत सरकार के गठन का भी जिक्र किया और ऐतिहासिक तथ्यों को सही ढंग से प्रस्तुत करने की आवश्यकता पर बल दिया।

हमारे नायकों के साथ अन्याय हुआ- धनखड़
जगदीप धनखड़ ने कहा कि हमारी इतिहास की किताबों ने हमारे नायकों के साथ अन्याय किया है। उन्होंने आगे कहा कि हमारा इतिहास तोड़ा-मरोड़ा गया है,जिससे कुछ लोगों का एकाधिकार बन गया है,जिन्हें हमें आजादी दिलाने का श्रेय दिया जाता है। यह हमारे विवेक पर एक असहनीय पीड़ा है। यह हमारी आत्मा और हृदय पर बोझ है। उन्होंने इतिहास के इस विकृत रूप पर निराशा जताई और ऐतिहासिक वृत्तांतों में महत्वपूर्ण बदलाव की मांग की। उन्होंने 1915 में पहली भारत सरकार के गठन का जिक्र करते हुए इसे इन मुद्दों पर विचार करने का एक उपयुक्त अवसर बताया।

'न्याय का मजाक है'
धनखड़ ने कहा कि कितना बड़ा अन्याय,कितनी बड़ी त्रासदी। अपनी आजादी के 75वें वर्ष में,हम राजा महेन्द्र प्रताप सिंह जैसे महापुरुषों के वीरतापूर्ण कारनामों को स्वीकार करने में विफल रहे हैं, बुरी तरह विफल रहे हैं। हमारे इतिहास ने उन्हें वह स्थान नहीं दिया जिसके वे हक़दार हैं। हमारी आजादी की नींव,उनके और अन्य गुमनाम या कम-ज्ञात नायकों के सर्वोच्च बलिदानों पर बनी है। उसे गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने इस उपेक्षा को न्याय का मजाक बताया और उन लोगों को उचित सम्मान देने के लिए ऐतिहासिक गलतफहमी को सुधारने के महत्व पर जोर दिया,जिन्होंने भारत की आजादी की नींव रखी।

किसानों की भी चर्चा
धनखड़ ने राष्ट्र की आर्थिक प्रगति में किसानों के कल्याण के महत्व पर भी बात की। उन्होंने किसानों की भलाई को 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य से जोड़ा और किसानों से बातचीत के माध्यम से अपने मुद्दों को हल करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हमें याद रखना चाहिए कि आपस में न लड़ें या अपने ही लोगों को धोखा न दें,यही हम अपने दुश्मनों के लिए रखते हैं। हमारे लोगों को गले लगाया जाना चाहिए। जब तक किसानों के मुद्दे अनसुलझे रहेंगे,कोई कैसे आराम कर सकता है?
 

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